Tuesday, October 22, 2024
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Holi Kaise Manaya Jata Hai

इस पोस्ट में हम जानेंगे कि Holi Kaise Manaya Jata Hai क्यों मनाया जाता है और होलिका क्यों जलाई जाती है, क्योंकि होली का त्यौहार भारत में बड़े त्योहारों में गिना जाता है।

जब कभी भी रंगों की बात होती है तब हमें होली का त्योहार याद आ जाता है। होली हिन्दुओं के चार महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन बड़े-बुजुर्ग हो या बच्चे, सभी हाथों में रंग और गुलाल लेकर घर से निकलते हैं। साथ ही आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं।

होली खेलने के साथ ही लोग अपने सगे संबंधी एवं मित्रों को Best Holi Gift देते हैं और इससे एक दूसरे में प्यार एवं सद्भावना बनी रहती है। सबसे पहले हम आप सभी को Happy Holi बोलना चाहेंगे।

होली का त्योहार शीत काल की समाप्ति औऱ बंसत ऋतु के आगमन पर फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कहते हैं कि होली का त्योहार अपने साथ प्रेम और परस्पर स्नेह की भावना लेकर आता है।

हालांकि भारतीय घरों में होली की तैयारियां बहुत दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। भारतीय स्त्रियां होली से कुछ दिन पहले कचरी, पापड़, चिप्स आदि बनाना प्रारंभ कर देती हैं।

इसके साथ ही होली से दो दिन पहले गुजिया, दही भल्ले, समोसे, नमकीन, मठरी आदि कई तरह के पकवान बनते हैं। फिर होली की शाम को रंग खेलने के बाद लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं।

एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस प्रकार होली का त्योहार भारत में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली का त्योहार क्यों औऱ कैसे मनाया जाता है? यदि नहीं तो आज हमारे इस लेख के माध्यम से आपको होली त्योहार से जुड़ी समस्त बातों की जानकारी निश्चित तौर पर हो जाएगी।

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे

सील सन्तोष की केसर घोली प्रेम गीत पिचकार रे

उड़त गुलाब भयों अंबर बरसत रंग अपार रे।

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Holi Kaise Manaya Jata Hai?

हमारे बहुत से पाठक हमसे यह पूछते हैं कि Holi Kaise Manaya Jata Hai कुछ ही दिन में होली का त्यौहार आने वाला है इसलिए इस त्योहार के बारे में वो सभी जानकारियां यहां पर मिलेगी जिसे आप इंटरनेट पर ढूंढते हैं।

भारत के कई राज्यों में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। ब्रज, गोकुल और मथुरा की होली सम्पूर्ण देश में विख्यात है। ब्रज में लठमार होली का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान महिलाएं पुरुषों को डंडे से पीटती हैं। तो वहीं कई जगह रंग और फूलों वाली होली का आयोजन किया जाता है। छोटी होली वाले दिन हर जगह होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन के समय लकड़ियों और कंडों का फूल, सुपारी, पैसे से पूजन किया जाता है। फिर उस पर चंदन, रोली, गुलाल, हल्दी औऱ फूल माला आदि चढ़ाया जाता है।

तत्पश्चात् होलिका दहन के समय उसके चारों ओर परिक्रमा की जाती है। इस दौरान लोग अपने हाथों में गेंहू की बाली, नारियल का गोला आदि पकड़ते हैं औऱ अग्नि में प्रवाहित करते हैं। फिर गुलाल और रंग लगाकर एक दूसरे को होली की बधाईयां देते हैं।

कई घरों में होली से कई दिन पहले आटे से चौक या आलेखन बनाया जाता है। बड़ी होली वाले दिन सुबह महिलाएं आस-पड़ोस के घरों में इकट्ठी होकर जाती हैं और होली के गीत गाती है।

साथ ही गुलाल और पकवान खिलाकर होली का त्योहार मनाती हैं। होली वाले दिन हर जगह रंग और गुलाल दिखता है और होली के गानों से माहौल सराबोर होता है।

फिर होली की शाम को लोग नए कपड़े पहनकर एक दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का लुफ्त उठाते हैं। होली पर रंगों से खेलते समय आपको खासकर अपनी त्वचा का ध्यान रखना पड़ता है।

हो सकें तो होली पर पारिजात औऱ टेसू के फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करें और केमिकल मिले रंगों के संपर्क में आने से बचें।

फिर भी यदि आपने केमिकल युक्त रंगों से होली खेली है तो आप उसको रगड़कर छुटाने का प्रयास न करें अन्यथा आपकी त्वचा प्रभावित हो सकती है।

अक्सर देखा गया है कि होली की आड़ में लोग एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। जोकि बिल्कुल गलत है, इसलिए हमें होली पर सदैव ही भाई चारे का संदेश देना चाहिए।

होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

होली का त्योहार मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। प्राचीन समय में, हिरण्यकशिपु नाम का एक अंहकारी राजा था। जिसकी ईश्वर में बिल्कुल भी आस्था नहीं थी लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद धार्मिक प्रवृत्ति का था।

जिसके चलते वह अपने बेटे पर काफी क्रोधित हुआ करता था। ऐसे में राजा की लाख कोशिशों के बाद भी प्रह्लाद ने भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा।

जिस पर एक दिन राजा हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को जान से मारने के उद्देश्य से अपनी बहन होलिका के साथ आग में बैठा दिया। क्योंकि होलिका को अग्नि से जीवित रहने का वरदान प्राप्त था लेकिन जैसे ही होलिका प्रह्लाद को गोदी में लेकर आग में बैठी।

तभी वह प्रह्लाद की भक्ति की शाक्ति के चलते आग में जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। कहते हैं कि तभी से होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली मुख्यता दो दिन का त्योहार होता है। इसका पहला दिन होलिका दहन और दूसरा दिन दुलैंडी के तौर पर मनाया जाता है।

होलिका दहन वाले दिन लोग सूर्य के निकलने से पहले ही चौराहों, मोहल्लों पर इकट्ठे होकर लकड़ियों का गठ्टर बनाते है और रोली, तिलक, चावल, गन्ने, उपले आदि से पूजकर होलिका जलाते हैं। अगले दिन यानि दुलैंडी के दिन सब लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं।

होली पर रंग क्यों खेला जाता है?

माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी रंगों की होली खेला करते थे। जिसके बाद राधा जी ने वृदांवन में जाकर गोपियों के साथ होली खेलना प्रारंभ किया।

कहते हैं कि तभी से होली पर रंग से खेलने की प्रथा है। इस प्रकार होली का त्योहार लोगों में परस्पर प्रेमभाव और आपसी मतभेदों को भूलकर अपनत्व की भावना विकसित करता है।

होली का त्योहार कहां-कहां मनाया जाता है?

होली का पर्व केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि कई देशों में मनाया जाता है। जैसे स्पेन में टमाटर होली खेली जाती है। जिसे ला टौमेटीना के नाम से जाना जाता है। पड़ोसी देश नेपाल में होली पर नारायणहिटी दरबार में बांस का लंबा टुकड़ा गाड़कर होली की सूचना दी जाती है।

थाईलैंड में होली पर नए साल का प्रारंभ होता है। इटली में होली के पर्व को रेडिका नाम से मनाया जाता है। वहां इस दिन आतिशबाजी का चलन हैं। इतना हीं नहीं बेल्जियम में होली का त्योहार मूर्ख दिवस के रूप में मनाते है। इस दिन पुराने जूतों की होली जलाई जाती है।

चीन में होली का त्योहार करीब 15 दिनों तक चलता है। तो वहीं जापान में होली का त्योहार कई स्थानों पर आग जलाकर मनाया जाता है। अमेरिका में होली को हैलोवीन नाम से जाना जाता है। इस दिन खासकर बच्चे अजीब प्रकार की वेशभूषा धारण करते हैं और मस्ती करते हैं।

इसके अलावा भारत के अलग अलग राज्यों में होली का त्योहार विशेष ढ़ग से मनाया जाता है। जैसे ब्रज में लठमार होली का आयोजन किया जाता है। ठीक उसी प्रकार से महाराष्ट्र में होली पर सूखे गुलाल का चलन है। गोवा में होली पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

तो वहीं पंजाब में होली पर होला मोहल्ला में शक्ति प्रदर्शन किया जाता है। साथ ही हरियाणा में होली पर भाभी द्वारा देवर को सताये जाने की प्रथा है। उत्तराखंड में होली पर शास्त्रीय संगीत का प्रचलन है।

इस प्रकार होली का त्योहार भारत के कई सारे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है।

होली क्यु जलाइ जाती है

होली त्यौहार से जुड़ी अनेक कहानियां है जिसमें प्रहलाद की कहानी काफी प्रसिद्ध है। हिरण्यकशिपु नाम का एक असूर प्राचीन काल में हुआ करता था ये बहुत ही बलशाली था। हिरण्यकशिपु अहंकार के मद में अपने आप को भगवान मानने लगा और लोगों को भगवान का नाम लेने पर रोक लगा दिया।

लेकिन वहीं दूसरी तरफ हिरण्यकशिपु का बेटा प्रहलाद भगवान को मानता था वो ईश्वर भक्ति में विश्वास करता था इसे देखते हुए हिरण्यकशिपु ने पहलाद को कई तरह के दंड दिए लेकिन प्रहलाद अपने रास्ते से नहीं डिगा।

हिरण्यकशिपु की एक बहन थी जिनका नाम था होलिका, और इन्हें ये वर मिला था कि वो आग में भस्म नहीं सकती हैं। हिरण्यकशिपु ने पहलाद को दंड देने के विचार से होलिका को ये आदेश दिया कि वो प्रहलाद को अपने गोद में लेकर आग में बैठे लेकिन प्रह्लाद बच गया। पहलाद अपने ईश्वर भक्ति के लिए प्रसिद्ध हुआ और इसी की याद में होली जलाई जाती है।
तो हमने यहां पर जाना की Holi Kaise Manaya Jata Hai हमें उम्मीद है इस पोस्ट से आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा अगर अभी भी आपके पास कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

Roop
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